नवार्ण मंत्र साधना
'गुप्त
चामुण्डा तंत्र' के अनुसार नवार्ण
मंत्र के ये अक्षर
या नौ बीज तथा
उनसे सम्बन्धित फल प्राप्ति इस
प्रकार से है -
१. ऍ - यह बीज
नवार्ण मंत्र का पहला और
सरस्वती बीज है, इसको
सिद्ध करने पर स्मरण
शक्ति तीव्र होती है। यदि
बालक इस साधना को
या बीज मंत्र का
उच्चारण करे तो, निश्चय
ही वह परीक्षा में
सफलता प्राप्त करता है, सिर
दर्द, माइग्रेन, मन्द बुद्धि आदि
विकार और बीमारियां इस
बीज के निरन्तर उच्चारण
करने से ठीक हो
जाती हैं, यही बीज
अच्छा वक्ता बनने में, वाणी
के द्वारा लोगों को प्रभावित करने
में पूर्ण रूप से समर्थ
है।
२. ह्रीं - यह लक्ष्मी बीज
है, जो कि सम्पूर्ण
विश्व में प्रचलित है।
इस बीज की साधना
करने से या इसका
मंत्र- जप करने से
दरिद्रता दूर होती है,
निरन्तर आर्थिक उन्नति होने लगती है
और अर्थ सम्बन्धी रुके
हुए काम ठीक हो
जाते हैं। जो साधक
निरन्तर केवल इसी बीज
का उच्चारण करता है, उसका
व्यापार बढ़ने लगता है, आर्थिक
स्रोत मजबूत होते हैं और
अनायास धन प्राप्ति के
विशेष अवसर बन जाते
हैं।
३. क्लीं - यह काली बीज
है, शत्रुओं का संहार करने,
शत्रुओं पर विजय प्राप्त
करने, मुकदमे में सफलता प्राप्त
करने और मन के
विकारों, काम, क्रोध, लोभ,
मोह आदि पर नियंत्रण
प्राप्त करने के लिए
यह महत्वपूर्ण बीज है। जो
इस बीज का उच्चारण
कर, कोर्ट कचहरी में जाता है,
तो उस दिन उसके
अनुकूल वातावरण बना रहता है।
काली को प्रसन्न करने
और उसके प्रत्यक्ष दर्शन
करने के लिए यह
अपने आप में सिद्ध
बीज है ।
४. चा - यह सौभाग्य
बीज है और इसकी
महत्ता शास्त्रों ने एक स्वर
से स्वीकार की है। सौभाग्य
की रक्षा, पति की उन्नति,
पति के स्वास्थ्य और
पति की पूर्ण आयु
के लिए यह अपने
आप में अद्वितीय बीज
है। इसी प्रकार यदि
पत्नी बीमार हो या उसे
किसी प्रकार की तकलीफ हो,
तो इस अक्षर का
निरन्तर जप करने से
या पत्नी को इस बीज
मंत्र से सिद्ध करके
जल पिलाने से उसके स्वास्थ्य
में गृहस्थ जीवन की आश्चर्यजनक
अनुकूलता आने लगती है,
सफलता के लिए यह
बीज मंत्र ज्यादा उपयोगी है।
५. मुं - यह आत्म मंत्र
है। आत्मा की उन्नति, कुण्डलिनी
जागरण, जीवन की पूर्णता
और अन्त में ब्रह्म
से पूर्ण साक्षात्कार के लिए यह
मंत्र सर्वाधिक उपयुक्त एवं अद्वितीय है
। उच्चकोटि के संन्यासी निरन्तर
इस मंत्र का जप करते
हुए, अपने जीवन को
पूर्णता प्रदान करते हैं। जो
साधक निरन्तर इस बीज मंत्र
का उच्चारण करता रहता है
उसकी कुण्डलिनी शीघ्र ही जाग्रत हो
जाती है।
६. डा - यह सन्तान
सुख बीज है, और
भगवती जगदम्बा का सर्वाधिक प्रिय
बीज है, यदि पुत्र
उत्पन्न न हो रहा
हो या संतान बाधा
हो अथवा किसी प्रकार
की पुत्र से सम्बन्धित तकलीफ
हो, तो इस बीज
मंत्र की सिद्धि करने
से अनुकूलता प्राप्ति होती है। पुत्र
के स्वास्थ्य और उसकी दीर्घायु
के लिए इसी बीज
मंत्र का सहारा लिया
जाता है ।
७. यै - यह भाग्योदय
बीज है, और मानव
जीवन में इस बीज
का सर्वाधिक महत्व है, यदि दुर्भाग्य
साथ नहीं छोड़ रहा
हो, पग पग पर
बाधाएं आ रही हों,
कोई काम भली प्रकार
से सम्पन्न नहीं हो रहा
हो, तो इस मंत्र
को विशेष महत्व दिया गया है।
जो साधक निरन्तर इस
बीज मंत्र का जप करता
रहता है, उसका शीघ्र
भाग्योदय हो जाता है
और वह अपने जीवन
में सभी दृष्टियों से
पूर्ण सफलता प्राप्त कर लेता है।
5. वि.-
यह सम्मान, प्रसिद्धि, उच्चता, श्रेष्ठता और सफलता का
बीज मंत्र है। किसी प्रकार
के पुरस्कार प्राप्त करने, समाज में सम्मान
और यश प्राप्त करने,
राज्य में उन्नति और
सफलता पाने के लिए
इस बीज मंत्र का
उपयोग किया जाता है।
जो साधक निरन्तर इस
बीज का प्रयोग करता
है या इसकी साधना
करता है, वह निश्चय
ही राज्य सम्मान एवं राज्य उन्नति
प्राप्त करने में सफल
हो पाता है।
६. च्चे - यह सम्पूर्णता का
बीज है। जीवन सभी
दृष्टियों से पूर्ण और
सफल हो, चाहे स्वास्थ्य,
धन, परिवार, यश, . सुख, सौभाग्य, सन्तान,
भाग्योदय और सफलता का
तत्व हो, इसे बीज
राज कहा गया है।
जो साधक इस बीज
मंत्र की साधना करता
है, वह निश्चय ही
अपने जीवन में पूर्ण
सफलता प्राप्त करता है।
नवार्ण मंत्र
इस प्रकार प्रत्येक बीज का अध्ययन
करने से नवार्ण मंत्र
इस प्रकार से बनता है
।। ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ।।
नवार्ण
मंत्र में ‘म्’ के स्थान पर
'ग' का उच्चारण करें।
शास्त्रों में कहा गया
है, कि नवार्ण मंत्र
का जप करते समय
इसके प्रारम्भ में "ॐ" या प्रणव नहीं
लगाना चाहिए।
नवार्ण
मंत्र की सिद्धि हेतु
नौ दिन में सवा
लाख मंत्र जप करने से
सफलता मिलती है। सवा लाख
मंत्र का तात्पर्य, 1250 मालाएं
जप से सवा लाख
मंत्र जप हो जाता
है।
इस साधना को किसी भी
महीने की त्रयोदशी अथवा
नवरात्रि से प्रारम्भ कर
अगले नौ दिनों में
यह नवार्ण मंत्र सिद्ध किया जा सकता
है। साधना के प्रथम दिन
साधना काल में साधक
पीली धोती पहन, उत्तर
की ओर मुंह कर,
सामने भगवती महाकाली का चित्र एवं
नवार्ण यंत्र स्थापित कर, काली हकीक
माला से मंत्र जप
करें। साधना के समय तेल
का दीपक अखण्ड होना
चाहिए।
नवार्ण मंत्र
विनियोग
दाहिने
हाथ में जल लेकर
निम्न विनियोग का उच्चारण करें
और जल को सामने
रखे हुए पात्र में
छोड़ दें-
ॐ अस्य श्री नवार्ण
मन्त्रस्य ब्रह्मा-विष्णु-रुद्र ऋषयः गायत्री उष्णिक
अनुष्टुप् छन्दांसि, श्री महाकाली महालक्ष्मी
-महासरस्वती देवताः ऐं बीजं ह्रीं
शक्तिः क्लीं कीलकं श्री महाकाली-महालक्ष्मी-
महासरस्वती प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि-न्यास
निम्न
उच्चारण करते हुए बताये
हुए शरीर के अंगों
को दाहिने हाथ से स्पर्श
करना चाहिए
ब्रह्मा-विष्णु-रुद्र ऋषिभ्यो नमः सिरसि । (सिर)
गायत्र्युष्णिगनुष्टुप
छन्देभ्यो नमः मुखे । (मुख)
महाकालीमहालक्ष्मी
- महासरस्वती-देवताभ्यो नमः हृदि। (हृदय)
ऐं बीजाय नमः गुह्य । (गुह्य)
ह्रीं
शक्तये नमः पादयो । (पैर)
क्लीं
कीलकाय नमः नाभौ । (नाभि)
कर न्यास
कर न्यास करने से साधक
स्वयं मंत्रमय बन जाता है,
उसके बाहर-भीतर की
शुद्धि हो जाती है
तथा दिव्य बल प्राप्त करने
से वह साधना में
सफलता प्राप्त कर लेता है।
ऐं - अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
ह्रीं - तर्जनीभ्यां नमः |
क्लीं - मध्यमाभ्यां नमः
चामुण्डायै - अनामिकाभ्यां नमः ।
विच्चे - कनिष्ठकाभ्यां नमः ।
ऐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे - करतल
कर पृष्ठाभ्यां नमः ।
हृदयादि न्यास
ऐ - हृदयाय नमः ।
ह्रीं - शिरसे स्वाहा ।
क्लीं - शिखायै वषट् ।
चामुण्डायै - कवचाय हुँ ।
विच्चे - नेत्र-त्रयाय वौषट् /
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे - अस्त्राय
फट् ।
अक्षर न्यास
ऐं नमः । (शिखायां)
क्लीं नमः । (वाम
नेत्रे)
मुं नमः | (वाम कर्णे) यै नमः
। (वाम नासा पुटे)
च्चे
नमः । (गुह्ये) ह्रीं नमः
। (दक्षिण नेत्रे) चा नमः
/ (दक्षिण कर्णे) डा नमः ।
(दक्षिण नासा पुटे) वि
नमः । (मुखे)
नवार्ण मंत्र
ध्यान
'वाग्'
- बीजं हि दीप-समान-
दीप्तम् । मायोऽति-तेजो द्वितीयार्क - बिम्बम्
।।
'काम' च वैश्वानर- तुल्य-रूपम् । प्रतीयमानं तु
सुखाय नित्यम् ।
'चा' शुअ-जाम्बूनद-तुल्य - कान्तिम् । 'मुं'
पंचमं रक्त-तर प्रकल्पम्
।।
'डर' षष्ट मुग्रार्ति - हरे-
सुनीलम् । 'ये'
सप्तमं कृष्ण-तरं रिपुघ्नम् ।। 'वि' पाण्डुर चाष्टममादि-सिद्धिम् । 'च्चे'
धूम्रवर्ण नवमं विशालम् ।।
एतानि बीजानि नवात्मकस्य । जपात्
प्रवध्यः सकलार्थ - सिद्धिम् ॥
उपरोक्त
ध्यान से ज्ञात होता
है, कि किस प्रकार
नवार्ण मंत्र भोग और मोक्ष
दोनों ही प्रदान करने
वाला अपने नाम के
ही अनुरूप नौ वर्णों - ऐं
ह्रीं क्लीं चा मुं डायै
विच्चे से मिलकर बना
यह तेजस्वी मंत्र गुप्त चामुण्डा तंत्र के अनुसार विहित
विधि से नवरात्रि के
अवसर पर सवा लाख
जप किये जाने से
पूर्णरूप से सिद्ध होता
है। इनमें से प्रत्येक बीज
की एक विशिष्ट साधना
और विशिष्ट अर्थ है, किन्तु
इस विस्तार में न जाते
हुए भी यथोचित विधि
से यह मंत्र जपे
जाने पर पूर्ण भौतिक
समृद्धि के साथ-साथ
देवी के जाज्वल्यमान दर्शन
का मार्ग भी प्रशस्त करता
है।
नवार्ण
मंत्र सिद्धि जीवन की श्रेष्ठ
सिद्धि है, स्थूल रूप
से नवार्ण मंत्र का अर्थ है
- हे चित्त स्वरूपिणी महाकाली! हे आनन्दरूपिणी महालक्ष्मी!
पूर्णत्व प्रदान करने वाली हे
महा सरस्वती! ब्रह्म-विद्या प्राप्त करने के लिए
हम साधक तुम्हारा ध्यान
करते हैं । हे
महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती स्वरूपिणी चण्डिके! आपको नमस्कार है।
आप मेरे अन्दर अविद्या
रूपी रज्जु की दृढ़ गांठ
को खोल कर मुझे
सभी दृष्टियों से पूर्ण मुक्त
कर देंi
नोट: यह शक्तिशाली साधना है और इस
प्रकार की साधना लाने के लिए बहुत प्रयास करना
पड़ता है। और साथ ही जब भी हम किसी भी तरह से साधना करते हैं तो हमें उसका आभार व्यक्त
करना चाहिए जैसे कि एक ब्राह्मण को दक्षिणा देना वरना ऋण दोष होता है। । तो हमारा समर्थन
करने के लिए ताकि हम इन दुर्लभ साधनाओं को देते रहें आप कोई भी दान राशि हमारे पेटीएम
या Gpay नंबर 9027769610 पर जमा कर सकते हैं।
Navarna Mantra Sadhana
According
to 'Gupta Chamunda Tantra', these letters or nine seeds of Navarna Mantra and
the fruits related to them are as follows -
1. Aim -
This seed is the first and Saraswati seed of Navarna Mantra, by proving it, the
memory power becomes intense. If the child recites this sadhna or Beej Mantra,
he will definitely get success in the examination. headache, migraine, retarded
intelligence etc. disorders and diseases can be cured by continuously chanting
this Beej, this Beej is a good speaker. In becoming, fully capable of
influencing people through speech.
2. Hreem -
This is Lakshmi Beej, which is popular all over the world. By practicing this
seed or by chanting its mantra, poverty is removed, there is continuous
economic progress and the stopped work related to money gets cured. The seeker
who continuously chants only this seed, his business starts growing, financial
sources become strong and there are special opportunities to get money
spontaneously.
3. Kleem -
This is a kali seed, it is an important seed to kill enemies, to win over
enemies, to get success in litigation and to get control over the disorders of
the mind, lust, anger, greed, attachment etc. The one who goes to the court
after pronouncing this seed, then that day a favorable environment remains for
him. It is a proven seed in itself to please Kali and to see her directly.
4. Cha -
This is a good luck seed and its importance has been unanimously accepted by
the scriptures. This is a unique seed in itself for protection of good luck,
progress of husband, health of husband and full life of husband. Similarly, if
the wife is sick or has any kind of problem, then by continuously chanting this
letter or giving water to the wife after proving it with this beej mantra, amazing
adaptability of household life starts coming in her health, for success. Beej
Mantra is more useful.
5. Mun -
This is the mantra of the soul. This mantra is most appropriate and unique for
the progress of the soul, awakening of the Kundalini, perfection of life and
finally complete interview with Brahman. Sannyasins of high order give
perfection to their lives by continuously chanting this mantra. The seeker who
keeps reciting this Beej Mantra continuously, his Kundalini gets awakened soon.
6. Da - This
child is the seed of happiness, and the most beloved seed of Bhagwati Jagdamba,
if a son is not born or there is an obstacle or any kind of problem related to
the son, then by chanting this seed mantra, compatibility is attained. . This
beej mantra is used for the health and longevity of the son.
7. Yai -
This is the seed of fortune, and this seed is of utmost importance in human
life, if misfortune is not leaving you, obstacles are coming at every step,
some work is not being completed properly, then this mantra should be specially
chanted. importance has been given. The seeker who continuously chants this
Beej Mantra, his fortune rises quickly and he achieves complete success in his
life from all points of view.
5. Vi-
This is the seed mantra of respect, fame, highness, superiority and success.
This beej mantra is used to get some kind of award, respect and fame in the
society, progress and success in the state. The seeker who continuously uses
this seed or does its meditation, he will certainly be successful in getting
state respect and state progress.
6. Chche -
This is the seed of perfection. May life be complete and successful in all
aspects, be it health, wealth, family, fame, . If there is an element of
happiness, good luck, children, fortune and success, it is called Beej Raj. The
seeker who does the practice of this Beej Mantra, definitely gets complete
success in his life.
Navarna Mantra
By
studying each seed in this way, the Navarna mantra is formed in this way
Aim Hreem Kleem Chamundaye Viche.
Pronounce
'G' instead of 'M' in Navarna Mantra. It has been said in the scriptures that
while chanting Navarna mantra, "Om" or Pranav should not be used in
its beginning.
For the
achievement of Navarna mantra, success is achieved by chanting 1.25 lakh mantras
in nine days. The meaning of 1.25 lakh mantras is that by chanting 1250
rosaries, 1.25 lakh mantras are chanted.
Starting
this sadhna from Trayodashi or Navratri of any month, this Navarna mantra can
be proved in the next nine days. On the first day of sadhna, sadhak should wear
yellow dhoti, face north, place picture of Bhagwati Mahakali and Navarna Yantra
in front of him and chant mantra with black hakik rosary. The oil lamp should
be unbroken at the time of meditation.
Navarna mantra Viniyog
Take water
in the right hand and recite the following incantation and leave the water in
the vessel kept in front of you-
Om Asya
Shree Navarna Mantrasya Brahma-Vishnu-Rudra Rishay: Gayatri Ushnik Anushtup
Chandansi, Shri Mahakali Mahalakshmi-Mahasaraswati Devta: Aim Beejam Hreem
Shakti: Kleem Keelkam Shri Mahakali-Mahalakshmi-Mahasaraswati Preetyarthe Jape
Viniyogah
Rishyadi-Nyas
While
reciting the following, the mentioned body parts should be touched with the
right hand.
Brahma-Vishnu-Rudra
Rishibhyo Namah Sirsi. (Head)
Gayatryushnig
anushtup Chandebhyo Namah Mukhe. (mouth)
Mahakalimahalakshmi
- Mahasaraswati-Devatabhyo Namah Hridi. (Heart)
Om Bijaya
Namah Guhya. (secret)
Hreem
Shaktaye Namah Padayo. (Feet)
Kleem
keelkaye Namah Nabhau. (Navel)
Kar Nyas
By doing
Kar Nyas, the seeker himself becomes enchanted, his inside and outside gets
purified and by getting divine power, he achieves success in meditation.
Aim -
Angusthabhyam Namah.
Hreem -
Tarjanibhyan Namah |
Kleem -
Madhyamabhya Namah
Chamundayai
- Anamikabhyan Namah.
Viche - kanisthr
kabhyam namah.
Aim Hreem
Kleem Chamundayai Vichhe - Kartal Kar Pristhabhyam Namah.
Hridyadi Nyas
Aim - Hridyaye
Namah.
Hreem -
Shirse Swaha.
Kleem-Shikhayai
Vashat.
Chamundayai
- Kavachaya hum
Viche -
Nrtra-triaya Vaushat /
Aim Hreem
Kleem Chamundayai Viche - Astraya Phat.
Akshar Nyas
Aim Namah.
(tuft ) Kleem Namah. (Left eye) Mum Namah | (Left ear) Yai Namah. (left
nostril)
Cche namah.
(mooladhaar) Hreem Namah. (right eye) cha namah / (right ear) da namah. (right
Nasal Pute) Vi Namah. (head)
navarna mantra meditation
'Vag' – beejam
hi deep samaan - Deeptam. Mayo'ti-tejo
dwitiyark - Bimbam. 'Kaam' cha Vaishvanar- tulya-rupam. Pratiyamanam tu sukhaya
nityam.
'Cha' Shua-Jamboonad-tulya - Kantim. 'Mum'
Pancham rakt tar prakalpam. 'Dar' Shashta Mugrarti - Hare-Sunilam. 'Ye' Saptam
Krishna-Taram Ripughnam. 'Vi' pandur chastammadi-siddhim. 'Cche' Dhumravarna
Navam Vishalam. Etani bijani navatma kasya. Japat Pravadhya: Saklarth - Siddhim
॥
'वाग्'
- बीजं हि दीप-समान-
दीप्तम् । मायोऽति-तेजो द्वितीयार्क - बिम्बम्
।।
'काम' च वैश्वानर- तुल्य-रूपम् । प्रतीयमानं तु
सुखाय नित्यम् ।
'चा' शुअ-जाम्बूनद-तुल्य - कान्तिम् । 'मुं'
पंचमं रक्त-तर प्रकल्पम्
।।
'डर' षष्ट मुग्रार्ति - हरे-
सुनीलम् । 'ये'
सप्तमं कृष्ण-तरं रिपुघ्नम् ।।
'वि' पाण्डुर चाष्टममादि-सिद्धिम् । 'च्चे'
धूम्रवर्ण नवमं विशालम् ।।
एतानि बीजानि नवात्मकस्य । जपात्
प्रवध्यः सकलार्थ - सिद्धिम् ॥
It is
known from the above meditation, how Navarna Mantra, which provides both Bhog
and Moksha, according to its name, this Tejasvi Mantra made up of nine
syllables - Ain Hree Kleen Cha Mun Diye Vichche, according to Gupta Chamunda
Tantra, Navratri is celebrated with the prescribed method. It is proved completely
by chanting 1.25 lakhs on the occasion of. Each of these seeds has a specific
spiritual practice and a specific meaning, but without going into this detail,
if this mantra is chanted properly, it paves the way for full material
prosperity as well as the dazzling vision of the Goddess.
Navarna
Mantra Siddhi is the best achievement of life, the meaning of Navarna Mantra in
physical form is - Oh Mahakali, the embodiment of the mind! Oh blissful
Mahalakshmi! O Maha Saraswati, the giver of perfection! We devotees meditate on
you to get Brahma-Vidya. O Mahakali, Mahalakshmi, Mahasaraswati Swaroopini
Chandike! Greetings to you. You untie the tight knot of ignorance in me and
free me completely from all visions.
Note : This is powerful sadhana and these types of
sadhana involves great efforts to bring in. And also whenever we do sadhana by
any means we should gratitude it like giving dakshina to a Brahmin else Rin
dosh will apply . So in order to support us so that we keep giving these rarest
sadhanas you can deposit any donation amount to our paytm or Gpay no
9027769610.
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